26/11: भारत के इतिहास का काला दिन
26 नवंबर 2008, भारत के इतिहास में एक ऐसा दिन है जिसे कोई भी भारतीय कभी नहीं भूल सकता। यह दिन आतंकवाद के खौफनाक चेहरे और हमारे देश के वीर जवानों की वीरता की कहानी का प्रतीक बन गया। इस दिन मुंबई शहर, जो भारत की आर्थिक राजधानी है, एक बड़े आतंकवादी हमले का शिकार हुआ। इस लेख में हम 26/11 के आतंकी हमले की पूरी कहानी, इसके कारण, परिणाम और देश की प्रतिक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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मुंबई पर हमला: एक पूर्व नियोजित साजिश
26/11 के हमले को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा अंजाम दिया गया। इस हमले की योजना महीनों पहले बनाई गई थी। 10 आतंकवादी कराची से समुद्री मार्ग से भारत आए। उन्होंने भारतीय जल सीमा में प्रवेश करने के लिए एक मछुआरे की नाव को हाईजैक किया और भारतीय नौसेना की नजरों से बचते हुए मुंबई में घुसपैठ की।
इन आतंकवादियों को अत्याधुनिक हथियार, गोला-बारूद और जीपीएस सिस्टम से लैस किया गया था। उनका मकसद भारत की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना, देश में आतंक का माहौल बनाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को कमजोर दिखाना था।
मुंबई के 5 प्रमुख स्थानों पर हमला
इन आतंकवादियों ने मुंबई के पांच प्रमुख स्थानों को निशाना बनाया:
- ताज होटल:
ताजमहल पैलेस होटल पर आतंकियों ने सबसे बड़ा हमला किया। उन्होंने होटल में मौजूद मेहमानों और कर्मचारियों को बंधक बना लिया। इस दौरान होटल में आगजनी और फायरिंग की घटनाएं हुईं। ताज होटल तीन दिनों तक आतंक का केंद्र बना रहा। - ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल:
इस होटल को भी आतंकियों ने निशाना बनाया। यहां भी मेहमानों को बंधक बनाया गया और अंधाधुंध फायरिंग की गई। - नरीमन हाउस (चाबाद हाउस):
यह यहूदी समुदाय का एक धार्मिक केंद्र था। आतंकियों ने यहां बंधक बनाकर कई निर्दोष लोगों की जान ले ली। - छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST):
इस व्यस्त रेलवे स्टेशन पर आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की। स्टेशन पर सैकड़ों लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे। - कैफे लियोपोल्ड:
यह स्थान पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध था। आतंकियों ने यहां पर हमला कर कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
वीरता और बलिदान की कहानियां
26/11 के हमले में देश के वीर जवानों और सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकवादियों का मुकाबला किया।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के इस बहादुर अधिकारी ने ताज होटल में फंसे लोगों को बचाने के दौरान अपनी जान कुर्बान कर दी। उनकी वीरता और बलिदान को पूरा देश आज भी याद करता है।
तुकाराम ओंबले
मुंबई पुलिस के इस कांस्टेबल ने अपनी जान देकर अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में सफलता प्राप्त की। उनकी इस बहादुरी ने आतंकवादियों की साजिश को उजागर करने में मदद की।
आतंकियों की पहचान और अजमल कसाब की गिरफ्तारी
10 में से 9 आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया, जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया। कसाब ने पूछताछ में खुलासा किया कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा द्वारा प्रायोजित था और पाकिस्तान में बैठे उनके आका इसे संचालित कर रहे थे। कसाब को 2012 में फांसी की सजा दी गई।
देश की प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय
26/11 के हमले के बाद भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया। इस घटना के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की तैनाती और तटीय सुरक्षा को बढ़ाया गया। इसके अलावा, आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय को बढ़ावा दिया गया।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और पाकिस्तान पर दबाव
इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर भारी दबाव पड़ा। भारत ने पाकिस्तान को ठोस सबूत प्रदान किए, जिससे यह सिद्ध हुआ कि हमले की साजिश पाकिस्तानी जमीन से रची गई थी। हालांकि, पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इस पर लीपापोती करने की कोशिश की।
26/11 का दर्द और यादें
मुंबई हमले में 166 निर्दोष लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। इस घटना ने देश और दुनिया को झकझोर कर रख दिया। आज भी हर साल 26 नवंबर को हम उन सभी निर्दोष लोगों और बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने अपनी जान गंवाई।
26/11: सबक और भविष्य
26/11 ने हमें यह सिखाया कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना जरूरी है। इस घटना के बाद भारत ने अपनी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक सशक्त बनाया। लेकिन यह भी सच है कि आतंकवाद का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है।
26/11 का दिन भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। यह दिन हमें आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और हमारे वीर जवानों की बलिदान की याद दिलाता है। देश ने इस हमले से उबरने के बाद एक मजबूत संदेश दिया कि भारत आतंक के सामने झुकने वाला नहीं है।