सूर्य ग्रहण के बारे मै जाने कैसे और किस वजह से लगता है | SOLAR ECLIPSE

सूर्य ग्रहण के बारे मै जाने कैसे और किस वजह से लगता है | SOLAR ECLIPSE

Vikrant Kumar
5 Min Read
सूर्य ग्रहण | SOLAR ECLIPSE

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है, जो चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य की विशिष्ट स्थिति और संरेखण के कारण होती है। यह घटना विज्ञान और खगोल विज्ञान के अद्भुत तथ्यों का प्रदर्शन करती है और हमें ब्रह्मांड की सुंदरता और जटिलता की झलक देती है।

सूर्य ग्रहण क्या है? What is Solar Eclipse

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसमें चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा ढक जाता है। यह घटना तभी होती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी सीधी रेखा में होते हैं, और यह केवल अमावस्या के दिन ही संभव है।

सूर्य ग्रहण के प्रकार | Types of Solar Eclipse

सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:

1 पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse): जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है और दिन में भी अंधेरा छा जाता है।

2 आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse): जब चंद्रमा केवल सूर्य का एक हिस्सा ही ढकता है, जिससे सूर्य का कुछ हिस्सा काला पड़ता है।

3 कंकणाकृति सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse): जब चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढकता है लेकिन उसकी बाहरी किनारी को नहीं, तब सूर्य एक चमकती हुई अंगूठी जैसा दिखाई देता है।

सूर्य ग्रहण का विज्ञान | Science of Solar Eclipse

सूर्य ग्रहण के पीछे का विज्ञान चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी पर निर्भर करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के पास होता है, तो वह सूर्य को पूरी तरह से ढक सकता है, जिससे पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है। जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है, तो वह सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता, जिससे कंकणाकृति ग्रहण होता है।

सूर्य ग्रहण क्यों लगता है ? Why does solar eclipse occur

सूर्य ग्रहण की प्रक्रिया

सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता। यह घटना अमावस्या के दिन होती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होते हैं।

कारण और प्रक्रिया

  1. अमावस्या: सूर्य ग्रहण केवल अमावस्या के दिन ही हो सकता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच होता है।
  2. कक्षा का मेल: चंद्रमा की कक्षा थोड़ी झुकी हुई होती है, इसलिए हर अमावस्या को सूर्य ग्रहण नहीं होता। सूर्य ग्रहण तभी होता है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की कक्षाएँ एक विशेष संरेखण में होती हैं।
  3. छाया की श्रेणियाँ:
    • उम्ब्रा (Umbra): यह चंद्रमा की छाया का वह हिस्सा होता है जहाँ सूर्य पूरी तरह से ढक जाता है। जब पृथ्वी इस क्षेत्र में होती है, तब पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है।
    • पेनम्ब्रा (Penumbra): यह छाया का बाहरी हिस्सा होता है जहाँ सूर्य का कुछ हिस्सा ही ढका होता है। जब पृथ्वी इस क्षेत्र में होती है, तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है।
    • ऐन्टम्ब्रा (Antumbra): यह वह क्षेत्र होता है जहाँ चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढकता है लेकिन बाहरी किनारी को नहीं। इस क्षेत्र में कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होता है।

वैज्ञानिक कारण | Scientific Reasons

सूर्य ग्रहण के पीछे का विज्ञान और खगोल विज्ञान का ज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि यह घटना क्यों और कैसे होती है। जैसे की आप ऊपर दिए गए चित्र से समझ सकते है की चंद्रमा की कक्षा, पृथ्वी की गति और सूर्य का आकार इन सबका मिलाजुला प्रभाव होता है, जिससे सूर्य ग्रहण का निर्माण होता है।

सूर्य ग्रहण का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

भारत में, सूर्य ग्रहण का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। इस समय विशेष पूजा, पाठ और स्नान का आयोजन किया जाता है। कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान किए गए धार्मिक कार्य अधिक फलदायी होते हैं।

सूर्य ग्रहण के समय सावधानियाँ

सूर्य ग्रहण को बिना सुरक्षा के देखना खतरनाक हो सकता है। सूर्य की तेज किरणें आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए, सूर्य ग्रहण देखने के लिए विशेष चश्मे या फिल्टर का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, ग्रहण के दौरान कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक धारणाएं होती हैं, जिन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझना आवश्यक है।

आप नीचे दिए गए विडियो मै देख सकते है की लोग किस तरह से इसे देखते है
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